Landschaft (1935)
by Emil Nolde
The red sky
Framed in my
Night-time window
Is sometimes
A piece fallen
Out of a childhood nightmare.
And sometimes
A suffocating
Expanse
Of erased stars
And swallowed air crafts.
Sometimes,
It is so still
It seems it is sore
And taut in pain.
Sometimes,
It is alive.
But barely.
But it is almost always
A dull red.
Like blood
Of a long long time ago.
रक्तिम आसमान
ReplyDeleteमढा हुआ
मेरी रात्रि समय की खिडकी में
होता है कभी कभी
एक टुकडा गिरा हुआ
बचपन के एक भयानक स्वपन से
और कभी कभी
एक दमघोटू विस्तार
मिटा दिये गये तारकों का
और निगले गये वायुपोतों का
कभी कभी
यह हो जाता इतना स्थिर
लगता है यह फोडा है
तना हुआ दर्द से
कभी कभी
यह हो जाता जीवन्त
पर यव के सिट्टे सा
परंतु यह लगभग सर्वदा
होता है धूसर लाल
लहू की तरह
बहुत बहुत पूर्व समय का,
ट्रुटि सुधार:-अन्तिम पद की दूसरी पंक्ति "पर यव के सिट्टे सा" के स्थान पर
ReplyDelete" पर यदा कदा " पढा जाये..... धन्यवाद.
a very nicely written poem!
ReplyDelete